Wednesday, August 21, 2013

Orissa Police: Bhubaneshwar: 1977 बैच के आईपीएस प्रकाश मिश्र है ओडिसा के पुलिस महानिदेशक. prakash mishra is the new DGP of Orissa police.

कटक- बक्सी बाजार स्थित पुलिस मुख्यालय में आज 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रकाश मिश्र ने विधिवत रूप से पुलिस महानिदेशक का दायित्व ग्रहण किया है। सर्वप्रथम डीजीपी श्री मिश्र को एक भव्य परेड में सलामी देकर अभिवादन दिया गया। इस अंवसर पर अतिरिक्त डीजीपी संजीव मारिक से राज्य के करीबन सभी आईपीएस अधिकारियों की उपस्थिति में उन्होंने डीजीपी का दायित्व लिया। इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में बढ़ रहे माओवादी व नक्सल हिंसा पर प्राथमिकता देंगे। इसके अलावा पुलिस दिन प्रतिदिन लोगों का विश्वास खोती जा रही है, उसमें सुधार लाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस के व्यवहार से लोग प्रभावित हो रहे हैं। कमिश्नरेट व्यवस्था में कुछ ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जो काफी दिनों से एक ही जगह पर सीट जमाए बैठे हैं, उनके कार्यो की समीक्षा की जाएगी और आवश्यकता होने पर फेर बदल भी हो सकता है। इसके अलावा पुलिस आधुनिकीकरण, अपराध नियंत्रण आदि पर महत्व दिया जाएगा। राज्य में कानून व्यवस्था को नियंत्रण करने के लिए श्री मिश्र ने अधिक महत्व देने का भरोसा दिलाया एवं कहा कि जल्द ही इसका प्रतिफलन लोगों को देखने को मिलेगा। द नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक प्रकाश मिश्र ने मुख्य सचिव बिजय कुमार पटनायक से मुलाकात की। इस दौरान पुलिस महानिदेशक ने मुख्य सचिव से माओवादियों पर नियंत्रण की रणनीति पर चर्चा की। मुख्य शासन सचिव बिजय कुमार पटनायक से मुलाकात के बाद डीजीपी प्रकाश मिश्र ने बताया कि फिलहाल माओवादियों के खिलाफ रात में ऑपरेशन चलाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव व डीजीपी में मुलाकात के दौरान राज्य की कानून व्यवस्था, औद्योगिक इलाकों में शांति, माओवादी समस्या और पुलिस आधुनिकीकरण पर विस्तार से चर्चा हुई। पुलिस महानिदेशक प्रकाश मिश्र ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि माओवादी समस्या से निपटना उनकी प्राथमिकता होगी। उन्होंने इसके लिए सभी अधिकारियों से मिल-बैठकर विचार-विमर्श के जरिए रास्ता निकालने की बात कही है। डीजीपी ने कहा कि खुफिया विभाग को मजबूत बनाया जाएगा। पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा झारखंड से संचालित होने वाली माओवादी गतिविधियों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।

Gujrat Police: Ahemdabad: घाटे में गुजरात पुलिस, १९६० की जनगणना के आंकड़ों पर स्वीकृत है पुलिस बल। the existing police force of gujrat police is based on the cesus of 1960.

गुजरात में पुलिस बलों की मंजूरी की प्रक्रिया अभी भी 1960 की जनगणना के आधार पर तय किए गए मापदंडों के आधार होती है जो अब पूरी तरह पुराने पड़ चुके हैं. इसीलिए प्रदेश सरकार इनमें संशोधन करने जा रही है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि प्रदेश सरकार अब मौजूदा जनसांख्यिकी परिदृश्य को आधार बनाकर पुलिस बलों की मंजूरी के नए मापदंड तैयार करने की कोशिश कर रही है. राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अमिताभ पाठक ने बताया, "हमारे राज्य के गठन के समय ही पहली बार पुलिस बल की मंजूरी की योजना तैयार की गयी थी और निश्चित रूप से इसमें संशोधन की जरूरत है. इसमें कोई शक नहीं. हम पुलिस बल की मंजूरी संबंधी मापदंडों में संशोधन की प्रक्रिया में हैं.’’ उन्होंने बताया, "हालांकि मंजूरी वाली संख्या 92, 545 में से कई पद भरे नहीं गए हैं.’’ राज्य के पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि राज्य में इस समय अनुमोदित पुलिस बल की संख्या 92, 545 है जिनमें सिविल और जिला सशस्त्र पुलिस भी शामिल है. इसमें आगे कहा गया है, "अनुमोदित पुलिस बल की मौजूदा संख्या 1960 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है.’’ साभार- सहारा समय।

Delhi Police: दिल्ली पुलिसवालों को तोहफा, मिलेंगे १००० नए साथी, काम का बोझ होगा कम. The government has created over 1,000 additional posts in Delhi Police and converted 522 others into the posts of women constable

The government has created over 1,000 additional posts in Delhi Police and converted 522 others into the posts of women constable on the recommendation of Justice Usha Mehra Commission's report suggesting one third of the force should be reserved for females. The Commission, headed by former Delhi High Court Judge Usha Mehra, was formed by the Home Ministry to identify the lapses on the part of Delhi Police, other agencies or persons for the gangrape incident on December 16 last year. In its report, the Commission had recommended that for better policing in the national capital, Delhi Police should have one-third of its total force of women. "The government has issued an advisory to Delhi Police to redeploy all women personnel from other offices to police stations and while filling future vacancies, women should be encouraged to join so that their numbers in police goes upto at least 1/3rd of the total strength," the government said. 1,000 more posts created in Delhi Police, 522 reserved for women 1,000 more posts created in Delhi Police, 522 reserved for women Delhi Police has also been provided with 370 PCR vans and all police officers have been directed to provide mobile phones to all beat constables. They have also been directed to take immediate action to apprehend the accused and provide medical assistance without going into jurisdictional issue. The government also said they have made non-registry of FIR a criminal offence. Following the Commission's recommendation, the government has approved installation of 5,312 CCTV cameras in Delhi, out of which 2,677 have been installed at vital locations like the Supreme Court, the High court and busy market places. courtsy- TOI.

Orissa Police: Bhubaneshwar: ओडिसा पुलिस ने किया बधाई का काम, बदलेंगे अंग्रेजों के जमाने का 'पुलिस एक्ट'. Odisha government decided to bring in a new legislation in place of the Police Act, 1861, and the Odisha State Armed Police Act, 1946.

BHUBANESWAR: With a view to doing away with archaic laws, the Odisha government on Monday decided to bring in a new legislation in place of the Police Act, 1861, and the Odisha State Armed Police Act, 1946. At a meeting of the state cabinet, chaired by chief minister Naveen Patnaik, it was decided to repeal the two laws and have a new law to match the sea change policing has undergone during the past century, official source said. The proposed law envisages a minimum tenure of two years from the state director-general of police, district superintendents of police and officers in charge of police stations, sources said. Presently, police officers have no fixed tenures in office, exposing them to different kinds of pressure and also harming continuity of work. It also proposes separate of crime detection and law and order wings through creation of a crime investigation unit and a criminal investigation organization. It further envisages setting up of a Police Establishment Board (PEB) headed by the DGP and a Police Complaints Authority (PCA) with the Lokpal as chairperson, sources said. The PCA and PEB are already in place in the state, sources added. "The multi-dimensional service role of police today as well as their need for training and upgradation to meet challenges like organized crime, economic offences, extremism, cyber crime and smuggling necessitates an overhaul of the legal provisions," a source said. The decision to replace the old acts was taken keeping in mind a Supreme Court order in 2006 and the Soli Sorabjee committee recommendations. courtsy- TOI जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : सन् 1861 से यानी कि 151 साल से चले आ रहे पुलिस कानून में संशोधन कर नया कानून बनाने का निर्णय ओडिशा सरकार ने लिया है। इस संबंध में प्रस्तावित विधेयक को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी भी दे दी है। गत सोमवार की शाम मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में कुल 15 नए प्रस्तावों को मंजूर किया गया। इसमें मुख्य रूप से ओडिशा पुलिस एक्ट 1861 एवं ओडिशा राज्य सशस्त्र पुलिस एक्ट 1946 में बदलाव कर नया पुलिस कानून बनाने का प्रस्ताव है। नए संशोधन के अनुसार राज्य के लिए एक ही पुलिस फोर्स होगी। राज्य की भौगोलिक स्थिति को आधार मानकर इन्हें विभिन्न पुलिस रेंज में विभक्त किया जाएगा। हर रेंज में एक या फिर दो पुलिस जिला होगा। प्रत्येक पुलिस जिला को सब डिवीजन में विभक्त किया जाएगा। प्रत्येक पुलिस डिवीजन में एक या उससे अधिक थाना होगा। लोगों को सही ढंग से पुलिस सेवा मुहैया कराने के लिए वर्गीकृत अपराध संचालन के लिए विशेष सेल बनाया जाएगा। डीजी पुलिस, एसपी, थाना अधिकारियों का कार्यकाल कम से कम दो साल का होगा। कानून बनने के छह महीने के अंदर राज्य सुरक्षा कानून बनाया जाएगा। अपराध जांच यूनिट अलग-अलग होगी। शहरों या फिर अधिक अपराध वाले क्षेत्र में यह यूनिट काम करेगी। पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जो आपत्ति या शिकायत आएगी उसकी सुनवाई के लिए एक पुलिस शिकायत अधिकारी का गठन किया जाएगा। लोकपाल इसके अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा गवर्मेंट सर्विस रूल 1959 में भी संशोधन किया गया है। इसमें भिन्नक्षमों को सुरक्षा व अधिकार देने के लिए कानून में व्यवस्था की गई है। नौकरी करने वाले अब ओडिशा डाउरी प्रोवीजन रूल 2000 के आधार पर सत्यपाठ दाखिल करेंगे, सत्यपाठ में भूल होने या उल्लंघन करने पर सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। भिन्नक्षमों की सुरक्षा के लिए अनुभवी या फिर वरिष्ठ सामाजिक व्यक्ति को कमिश्नर के रूप में नियोजित किया जाएगा। ओडिशा परीक्षा नियंत्रक कानून 1988 में संशोधन किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के 436 एलआर एवं टीआर पदवी बनायी जाएगी। नौकरी करने वाले दहेज नहीं ले रहे हैं, इसके लिए उन्हें अब शादी करने से पहले एफिडेविट देना होगा। ओडिशा जमीन व चकबन्दी कानून (1958) में संशोधन करने जैसे 15 प्रस्ताव पर कैबिनेट अपनी मुहर लगाई है।

UP Police: Gaziabad: छापा मारने गए डीएसपी अमित नागर पर शराब माफिया का हमला, कई घायल. DSP Amit Naagar & other policemen injured during raid, when illigal bootleggers attacked police team.

गाजियाबाद : पिलखुआ इलाके में एक अवैध शराब की दुकान पर अपने दल के साथ छापामारी करने गये पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) पर हथियारों से लैस शराब तस्करों ने हमला कर दिया. पुलिस ने आज बताया कि कल रात हुए हमले में डीएसपी अमित नागर के सिर और हाथों में गंभीर चोटें आयी हैं. नागर के साथ गये एक आबकारी इंस्पेक्टर और तीन पुलिसकर्मी पर भी आरोपियों ने हमला किया. अतरौली गांव में राजेंद्र सिंह के स्वामित्व वाली किराने की दुकान से अवैध शराब बिक्री होने की सूचना मिलने के बाद आबकारी इंस्पेक्टर अजय यादव, एक आबकारी कांस्टेबल सहित तीन पुलिसकमी के साथ कल रात नागर दुकान पर छापा मारने के लिए गये. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब डीएसपी अपने दल के साथ छापामारी कर रहे थे उसी समय शराब तस्करों ने अचानक उनके दल पर हमला कर दिया. आरोपी ने नागर के सिर पर छड़ी और ईंटों से हमला किया. उन लोगों ने नागर के दल पर भी छड़ी और ईंटों से हमला किया. मौके से भागने के लिए आरोपियों ने वहां पर गोलीबारी भी की. नागर के अलावा इस हमले में आबकारी इंस्पेक्टर यादव और कांस्टेबल विपिन शर्मा घायल हो गये हैं. इस घटना के बाद पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार राघव घटनास्थल पर पहुंचे और नागर और उनके दल के सदस्यों को लेकर नजदीकी अस्पताल गये जहां पर उनका उपचार चल रहा है. जिले के चार पुलिस थाना के पुलिसकर्मियों को भारी संख्या में इलाके में तैनात कर दिया गया है. courtsy- prabhat khabar.

Bihar Police: Patna: बिहार पुलिस सेवा के 13 अधिकारी बनेंगें IPS, लेकिन देनी होगी लिखित परीक्षा. 13 officers of bihar police service will be promoted as officers of indian police service.

पटना: बिहार पुलिस सेवा के 13 अधिकारी इस वर्ष आइपीएस बनेंगे. इनकी नियुक्ति वर्ष 2011 की प्रोन्नति से भरी जानेवाली रिक्तियों के आधार पर होगी. इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग में 23 अगस्त को बैठक होगी. राज्य सरकार ने 39 अधिकारियों के नामों का पैनल तीन माह पहले ही भेज दिया है. गत वर्ष हुआ था 36 का चयन प्रत्येक वर्ष प्रोन्नति कोटा से आइपीएस में नियुक्ति का प्रावधान है. वर्ष 2012 में तीन कैलेंडर वर्षो 2008, 09 व 10 के लिए 36 अधिकारियों की नियुक्ति हुई थी. 2011 के लिए गृह मंत्रलय व यूपीएससी ने 13 पद चिह्न्ति किये हैं. प्रावधान के अनुसार, एक पद के विरुद्ध तीन अधिकारियों का नाम पैनल में भेजा जाता है. इस तरह 13 पद के लिए 39 अधिकारियों के नाम भेजे गये है. अब देनी होगी लिखित परीक्षा केंद्र ने तय किया है कि वर्ष 2012 से राज्य सेवा कोटे से आइएएस, आइपीएस व आइएफएस में नियुक्ति लिखित परीक्षा के माध्यम से होगी. केंद्र ने यह भी तय किया था कि हर वर्ष 9-10 आइपीएस अधिकारी सीधी नियुक्ति से मिलेंगे. लेकिन, प्रत्येक वर्ष 20-25 अधिकारी सेवानिवृत्त होते हैं. इस तरह अधिकारियों की कमी लगातार बढ़ती जा रही है. courtsy- prabhat khabar.

CBI: पढ़िए, CBI की जुबानी, इशरत जहां एनकाउंटर की पूरी कहानी. what is the ishratjaha encounter case as per CBI.

नई दिल्ली। अहमदाबाद के इशरत जहां एनकाउंटर केस के नौ साल बाद सीबीआई ने बुधवार को कहा कि ये एनकाउंटर फर्जी था। गुजरात पुलिस ने आईबी की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया था। सीबीआई ने इस मामले में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई के मुताबिक इशरत और उसके तीन साथियों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया था। हत्या से पहले उन्हें बेहोशी की दवा दी गई थी और उनके पास मिले हथियार दरअसल आईबी ने मुहैया कराए थे। 15 जून 2004 को अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच सड़क पर इस एनकाउंटर को फिल्मी अंदाज में अंजाम दिया गया। मुंबई की 19 साल की इशरत जहां रजा को तीन लोगों के साथ मारकर उनके पास हथियार रख दिए गए और कह दिया गया कि ये मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रचने वाले आतंकवादियों का एनकाउंटर था। 9 साल बाद सीबीआई ने मोदी सरकार के पुलिस अफसरों को कठघरे में खड़ा करने वाले इस सनसनीखेज केस में पहली चार्जशीट दाखिल कर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एनकाउंटर की कहानी की धज्जियां उड़ा दीं। हिरासत में थे सभी आरोपी सीबीआई की नजर में एनकाउंटर के दावे सरासर झूठे हैं क्योंकि मारे जाने से पहले खुद इशरत जहां, रजा, प्रणेश पिल्लई उर्फ जावेद गुलाम शेख, अमजद अली राणा और जीशान जौहर पुलिस की हिरासत में थे। सीबीआई का दावा है कि इस फर्जी एनकाउंटर को आईबी यानि खुफिया ब्यूरो और पुलिस की मिलीभगत से अंजाम दिया गया। इसके लिए बाकायदा चारों को मारने से पहले बेहोशी की दवा पिलाकर बेसुध कर दिया गया। सीबीआई के वकील शमशाद पठान ने कहा कि इशरत और जावेद को टोल बूथ से उठाया गया था। मामले की जांच अभी जारी है। अभी किसी को क्लीन चिट नहीं मिली है। अहमदाबाद के मेट्रो कोर्ट में दाखिल सीबीआई की चार्जशीट राज्य के आला पुलिस अफसरों पर संगीन इल्जाम लगाती है। मुठभेड़ से दिन पहले पकड़ लिया था चार्जशीट में साफ लिखा है कि इशरत जहां और जावेद को मुठभेड़ से तीन दिन पहले से ही पुलिस ने पकड़ रखा था। दोनों को आईबी और पुलिस क्राइम ब्रांच के एन के अमीन और तरुण बारोट ने वासद नाम की जगह से उठाया। दोनों को खोडीयार फॉर्म में रखा गया और दोनों से पुलिस के एडिश्नल डीजीपी और तत्कालीन क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर पी पी पांडे और आईबी के स्पेशल ज्वाइंट डायरेक्टर राजिंदर कुमार ने पूछताछ की। अमजद तो 20 दिन से पुलिस कस्टडी में था जबकि जीशान को 6 हफ्ते पहले ही उठा लिया गया था। जीशान और अमजद को किसी दूसरे फॉर्म हाउस में रखा गया और सबको एक साथ एक ही जगह पर लाकर मारा गया। मारने के बाद तत्कालीन डीसीपी डी जी बंजारा के कहने पर सबके शव पर हथियार रखे गए। एसीपी खुद लेकर पहुंचे थे हथियार चार्जशीट के मुताबिक ये हथियार खुद आईबी के दफ्तर से लाए गए थे और तत्कालीन डीजीपी डीजी बंजारा के ही कहने पर तत्कालीन एसीपी जीएल सिंघल खुद 14 जून को हथियारों से भरा बैग लेकर खुफिया विभाग के दफ्तर से आए थे। सीबीआई ने 179 गवाहों से पूछताछ के आधार पर पहली चार्जशीट तैयार की है। इतना ही नहीं सीबीआई आईबी के दो अफसरों एम के सिन्हा और राजीव वानखेड़े की भूमिका की जांच कर रही है। चार्जशीट कहती है कि इशरत के साथ मारे गए तीनों लोग जरूर आतंकवादी थे लेकिन इशरत को लेकर हालात स्पष्ट नहीं हैं कि वो आतंकी थी या नहीं। इस फर्जी एनकाउंटर केस में कम से कम 7 पुलिस अफसरों की वर्दी पर दाग लगे हैं। चार्जशीट में एडीशनल डीजीपी पी पी पांडे के अलावा, तत्कालीन डीसीपी डी जी बंजारा, तत्कालीन एसीपी जी एल सिंघल, तत्कालीन एसीपी नरेंद्र अमीन, तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर तरुण बारोट, जी जी परमार और कमांडो अनाजू चौधरी के खिलाफ हत्या, अपहरण और बंधक बनाकर रखने की संगीन धाराएं लगाई गई हैं। सुकून में हैं इशरत का परिवार जाहिर है 9 साल से अपनी बेटी की बेगुनाही के लिए लड़ रहे इशरत जहां के परिवार वाले इस चार्जशीट से सुकून में हैं, लेकिन अंगारे बुझे नहीं हैं। आरोप मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तक उछल रहे हैं। इशरत की मां शमीमा कौसर कहती हैं कि 9 साल से मैं कहती आ रही हूं कि मेरी बेटी बेगुनाह है और आज कोर्ट ने ये साबित कर दिया। मेरी बेटी के चले जाने के बाद हमारे परिवार की सभी खुशियां चली गईं। जिसने भी उनको मारा है। उनका नाम चार्जशीट में आया है। लेकिन हम खुश नहीं हैं क्योंकि उन लोगों का भी नाम आना चाहिए जिन्होंने उसे मरवाया है। इशरत की बहन मुशर्रत कौसर कहती हैं कि हम मानते हैं कि मेरी बहन की हत्या की साजिश में नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। चार्जशीट में नरेंद्र मोदी का नाम नहीं है, न ही उनके सिपहसालार और यूपी के चुनाव प्रभारी बनाए गए अमित शाह का। ये बात दीगर है कि जांच में सफेद दाढ़ी और काली दाढ़ी का भी जिक्र कई बार किया गया लेकिन ये साबित नहीं हो सका कि सफेद औऱ काली दाढ़ी वाले इंसान हैं कौन। साबित ये भी नहीं हो सका कि आखिर सूबे के आला पुलिस अफसर किसके इशारे पर एनकाउंटर में जुटे थे। क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश थी। हालांकि, अब भी चर्चा है कि सीबीआई अगली चार्जशीट में गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह और आईबी के तत्कालीन स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार को आरोपी बना सकती है। फिलहाल, तो बीजेपी कांग्रेस पर आतंक की सियासत के इल्जाम मढ़ रही है और संघ भी राहत की सांस ले रहा है। आरएसएस विचारक एम जी वैद्य ने कहा कि कानून को अपना काम करना चाहिए। इसमें किसी मंत्री का नाम नहीं है। नेताओं की तरफ जो उंगली उठ रही थी उसे इस चार्जशीट ने झूठा करार दिया गया है। कांग्रेस ने दुष्प्रचार किया है। courtsy- in.com hindi