Wednesday, February 8, 2012

MP Police: Nepanagar : क्या होगा 30 हजार के नगर का भगवान. जब हो देश की पहली और एकमात्र अखबारी कागज नगरी में सिर्फ एक ट्रैफिक जवान...

नेपानगर में एक, शाहपुर में कोई नहीं
शहर के साथ नेपानगर और शाहपुर के हाल भी बेकार हैं। 25 हजार की जनसंख्या वाले नेपानगर की यातायात व्यवस्था मात्र 1 यातायात पुलिस कर्मी के भरोसे है। जो हाल ही में बुरहानपुर से वहाँ पदस्थ हुए हैं। गत कई वर्षों से यातायात पुलिस का अभाव था। हालाँकि नेपानगर में यातायात व्यवस्था संभालने के लिए एक प्रधान आरक्षक, 2 आरक्षकों और 3 सैनिकों की पद स्वीकृत हैं। वहीं 20 हजार की जनसंख्या वाले शाहपुर में तो आज भी यातायात पुलिस नहीं है।

Haryana Police: Chhandigarh: हाईकोर्ट के सवालों की बौछारों से परेशान हो गए डीएसपी दिनेश कुमार, जाट आरक्षण आंदोलन में हिसार में दंगे व तोड़फोड़ को लेकर पुलिस जांच प्रणाली पर उठे सवाल..

चंडीगढ़ : जाट आरक्षण आंदोलन के चलते हिसार में हुए दंगे व तोड़फोड़ के मामले में दोषी लोगो के खिलाफ कार्रवाई करने की एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस मामले में हरियाणा पुलिस द्वारा की जा रही जांच प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। साथ ही कोर्ट रूम में मौजूद हिसार के डीएसपी मुख्यालय दिनेश कुमार से जांच बारे सवालों की बौछार की। हाईकोर्ट ने डीएसपी से जांच दल के सदस्यों के नाम पूछे तो डीएसपी दिनेश कुमार कोर्ट में इस बाबत स्पष्ट जवाब नही दे सके, जिस पर कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच सही नही हो रही है पुलिस इस मामले में केवल कोर्ट की आंखो में धूल झोंक रही है। बहस के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल के अलावा अन्य विशेष पहचान दल बनाया हुआ है जो इस मामले की जांच कर रहा है। कोर्ट ने जब डीएसपी से पूछा कि इन जांच दल के सदस्य कौन है तो डीएसपी कोर्ट में जवाब नही दे पाए। कोर्ट ने जांच दल के सदस्यों की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि नियम के तहत जांच दल में एएसआइ से कम रैंक का अधिकारी शामिल नहीं हो सकता लेकिन इस जांच दल में तो सिपाही स्तर के कर्मचारी है। कोर्ट ने एक विशेष पहचान दल बनाने पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने इस मामले की जांच प्रणाली पर नाखुशी जाहिर करते हुए इस मामले से जुड़े जांच दल, जांच रिपोर्ट, चालान, एफआईआर के रिकार्ड के अलावा केस डायरी मामले की अगली सुनवाई तक कोर्ट में पेश करने का आदेश जारी किया।

UP Police: Assembly Election: हरदोई: 13 जिलों से पुलिस बल आयेगा, 103 कंपनी पैरा मिलेट्री फोर्स और 19 कंपनी पीएसी भी मतदान के दिन ....

जिले में 19 फरवरी को आठ विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का कार्य शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए 13 जिलों से पुलिस बल आयेगा। इसके अलावा 103 कंपनी पैरा मिलेट्री फोर्स और 19 कंपनी पीएसी भी मतदान के दिन जिले की सुरक्षा व्यवस्था संभालेगी। बताते चलें कि जनपद में कुल आठ विधानसभा क्षेत्र हैं और कुल 2749 पोलिंग बूथों पर 19 फरवरी को 25 लाख से अधिक मतदाता वोट डालेंगे। मतदान के दिन किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए भरपूर पुलिस बल की व्यवस्था की गयी है। पुलिस महकमे से जुड़े विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जिले में 13 जनपदों से उपनिरीक्षक, मुख्य आरक्षी, सशस्त्र आरक्षी और निशस्त्र आरक्षी चुनाव कराने के लिए आयेंगे। वैसे भी निर्वाचन आयोग की ओर से सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्ध सैनिक सुरक्षा बलों की तैनाती करने के निर्देश दिये जा चुके हैं। शायद इसीलिए जिले में 103 कंपनी अर्धसैनिक सुरक्षा बल मतदान से पूर्व ही आ जायेगा। ध्यान रहे कि एक कंपनी अर्धसैनिक सुरक्षा बल चुनाव की घोषणा होने के कुछ ही दिनों बाद जिले में आ गया था। इसके अलावा 19 कंपनी पीएसी भी जनपद में मतदान के पूर्व ही आ जायेगी और मतदान की प्रक्रिया पूरी कराने के बाद वापस जायेगी। आने वाले पुलिस कर्मी हरदोई : चुनाव कराने के लिए मुरादाबाद से 103, आगरा से 102, अलीगढ़ से 64, जीआरपी लखनऊ से 45, जीआरपी आगरा से 40, बलिया से 40, गाजीपुर से 34 और मऊ से 26 उपनिरीक्षक आयेंगे। इसी तरह संत कबीरनगर से 16 मुख्य आरक्षियों के साथ ही गाजीपुर से 8, गोरखपुर से 65, बलिया से 15, सीतापुर से 79, जीआरपी आगरा से 45, आगरा से 24, अलीगढ़ से 40, जीआरपी लखनऊ से 45 मुख्य आरक्षी जनपद में आयेंगे। सशस्त्र पुलिस के 239 जवान संत कबीरनगर से, 220 मऊ से, 600 गाजीपुर से, 1000 गोरखपुर से, 700 से बलिया से, 649 देवरिया से और 220 जीआरपी आगरा से आयेंगे। चुनाव कराने के लिए निशस्त्र आरक्षी भी गैर जनपदों से आ रहे हैं। मऊ से 291, गाजीपुर से 368, गोरखपुर से 257, बलिया से 300 और पीटीसी मेरठ से 558 निशस्त्र आरक्षी मतदान के दिन जिले की सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे।

Haryana Police: Faridabad: सुरजकुंड मेले पुलिस बंदोबस्त हुआ सख्त, पुलिस अधिकारियों की हुई मॉक ड्रिल..

फरीदाबाद, जागरण संवाद केंद्र : सूरजकुंड मेले में तैनात सुरक्षा कर्मियों की तत्परता को जाचने के लिए बुधवार को दिन में पुलिस अधिकारियों ने केरल गेट के साथ पार्किग में मॉक ड्रिल की। इस दौरान संदिग्ध कार में बम मिलने की सूचना पर कुछ ही पलों में बम निरोधक दस्ते, डॉग स्कवैड, स्वाट टीम, फायर ब्रिगेड व एंबुलेंस मौके पर पहुंच गईं। सभी की टाइमिंग पर आला अधिकारियों ने संतुष्टि जताई। दिन में साढ़े बारह बजे मेला कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि केरल गेट के पास पार्किग में संदिग्ध कार खड़ी है, जिसमें बम हो सकता है। सूचना मिलते ही बम निरोधक दस्ता, स्वाट टीम, फायर ब्रिगेड व एंबुलेंस मौके पर पहुंच गईं। दस्ते का नेतृत्व डीसीपी मुख्यालय नाजनीन भसीन व एसीपी सेंट्रल कुलदीप सिंह कर रहे थे। पार्किग में संबंधित कार के आसपास पुलिस ने रेत के बोरे लगा दिए और वहा से लोगों को दूर हटा दिया। बम निरोधक दस्ते ने नवीनतम उपकरणों की मदद से कुछ ही देर में कार को चेक करके बता दिया कि कार में ऐसी कोई संदिग्ध वस्तु नहीं है। मौके पर मौजूद डीसीपी मुख्यालय नाजनीन भसीन व एसीपी कुलदीप सिंह ने बताया कि कवायद सभी टीमों की तत्परता जाचने के लिए की गई थी। उन्होंने बताया कि सभी टीमों की टाइमिंग सही थी और कुछ ही देर में बम निरोधक दस्ते ने कार की जाच कर क्लीयरेस दे दी थी।

Delhi Police: ज्वाइंट कमिश्नर (क्राइम) करेंगे कांस्टेबल को रेंगने की सजा देने मामले की जांच, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस घटना पर पुलिस आयुक्त बी के गुप्ता से मांगा जवाब...

दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) संदीप गोयल एक आईपीएस अधिकारी की एक कांस्टेबल को रेंगने की सजा देने मामले की जांच करेंगे. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत सिंह ने यहां बताया कि सयुंक्त आयुक्त अदालत के निर्देशानुसार जारी करेंगे. अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (नयी दिल्ली) सेजू जी कुरूविला ने एक कांस्टेबल को ड्यूटी के दौरान फोन पर बतियाने पर कथित रूप से रेंगने के लिए मजबूर किया था. यह वाकया खूब सुर्खियों में रहा. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गोयल घटना की जांच करेंगे और जरूरत महसूस होने पर वह संबंधित कांस्टेबल एवं कुरूविला के बयान भी लेंगे. इसी बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस घटना पर पुलिस आयुक्त बी के गुप्ता एवं कुरूविला से जवाब मांगा है.

Delhi Police: सिपाही को कोर्ट परिसर में गुलाटी मारने का आदेश देने वाला आईपीएस फंसा..अदालत ने पूछा आपके खिलाफ मुकदमा क्यों ना दर्ज हो????

नई दिल्ली. दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात एक सिपाही को लापरवाही बरतने पर एक आईपीएस अधिकारी ने परिसर में ही 'बंदर' बनाने के मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है। पटियाला कोर्ट ने कथित लापरवाही बरतने वाले सिपाही को भरी अदालत में ही गुलाटियां मारने का आदेश देने वाले अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सुजे पी. कुरूबिला को नोटिस भेजकर पूछा है कि उनके खिलाफ मुकदमा क्यों न दर्ज किया जाए? दरअसल, दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कुरूबिला सिविल ड्रेस में मंगलवार को पटियाला हाउस कोर्ट में औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। सिपाही दिनेश को ड्यूटी पर लापरवाही बरतते हुए लंबे समय से फोन पर बात करता देख कुरूबिला आगबबूला हो गए। उन्होंने दिनेश को गुलाटी मारते हुए अदालत परिसर का चक्कर लगाने का तुगलकी फरमान सुना दिया। सिपाही ने भी मामले को यहीं निपटता देख सार्वजनिक बेइज्जती की परवाह नहीं की और भरी अदालत में ही करीब 250 मीटर तक बंदर की तरह गुलाटियां मारता रहा। चश्मदीदों के मुताबिक कुरूबिला मदारी की तरह पीछे-पीछे चलता रहा और बंदर बना सिपाही आगे-आगे गुलाटी मारता रहा। इस तमाशे को परिसर में मौजूद कुछ वकीलों ने अपने मोबाइल कैमरा से रिकार्ड कर लिया। मौके पर मौजूद वकीलों ने पीसीआर को फोन कर मामले की जानकारी पुलिस को दी थी।

Meghalaya Police: Meghalaya government has constituted a Police Accountability Commission (PAC) to improve policing, work culture and also ensuring strict maintenance of discipline within the force..

SHILLONG: In the backdrop of reports of rising cases of corruption, dereliction of duty and highhandedness in the state police force, the Meghalaya government has constituted a Police Accountability Commission (PAC) to improve policing, work culture and also ensuring strict maintenance of discipline within the force. "We have set up a police accountability commission in accordance with Section 74 of the Meghalaya Police Act (MPA)," home minister HDR Lyngdoh told reporters here. On the role and function of the commission, Lyngdoh said, "The function and powers of the commission will be similar to that of a civil court enforcing trials and suits against any complaints against the department or its personnel." Headed by the home minister, the commission will have the chief secretary, home secretary and DGP as members. Apart from government officials, the commission will also have non-official members. "The government has decided to have three non-official members, whose selection will be based on transparency," the home minister said. He added that non-official members of the commission would comprise retired government officers not below the rank of a principal secretary or inspector general of police (IGP) and a person having 10 years' experience in public administration. Last year, in compliance with the Meghalaya Police Act, the state government had set up the State Security Commission headed by the chief minister. Welcoming the development, a retired police officer, who did not want to be named, said, "The police force in Meghalaya needs total overhauling. Most criminal cases in this state lead to nowhere and there are very few cases which ultimately get resolved."