Sunday, December 18, 2011

Police Health: MP Police: Ratlam: पुलिस नियंत्रण कक्ष में दो दिवसीय सेमिनार शुरू, चौथे सत्र में तनाव प्रबंधन पर चर्चा..

पुलिस नियंत्रण कक्ष में शनिवार सुबह 'समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता' विषय पर दो दिवसीय सेमिनार शुरू हुआ। एसपी डॉ. रमनसिंह सिकरवार ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सेमिनार का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के प्रति सभी को संवेदनशील होना चाहिए। कमजोर वर्गों के लोगों के कार्य प्राथमिकता से करना चाहिए। उन्होंने उपस्थित पुलिसकर्मियों से पूछा कि कमजोर वर्ग से आशय क्या है? किसे कमजोर माना जाता है। इस बारे में कोई भी पुलिसकर्मी जानकारी नहीं दे पाया। एसपी डॉ. सिकरवार ने बताया कमजोर वर्ग को छह भागों में बाँटा गया है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, विकलांग, वृद्ध और बच्चों को कमजोर माना गया है। इनके कार्य प्राथमिकता से करना चाहिए। थानों पर जब भी इन वर्गों के लोग फरियाद लेकर आते हैं तो हमें पहले उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए। सेमिनार में विभिन्ना सत्र हुए। दूसरे सत्र में डॉ. एचपी जोशी ने अजा/जजा वर्ग के साथ व्यवहार और आने वाली समस्याओं विषय पर व्याख्यान दिया। तीसरे सत्र में आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त जेपी यादव ने राहत प्रकरण व राहत राशि के संबंध में जानकारी दी।
एएसपी राजेश व्यास ने सेमिनार के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। सेमिनार में एफएसएल अधिकारी डॉ. आलोक माथुर, अजाक के डीएसपी एसएल वसावे, अजाक थाना प्रभारी देवेंद्रसिंह राठौर, उपनिरीक्षक किशोर पाटनवाला सहित बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी उपस्थित थे। सेमिनार में दूसरे दिन सुबह 10 बजे मनोचिकित्सक डॉ. निर्मल जैन अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग पर मनोवैज्ञानिक दबाव विषय पर व्याख्यान देंगे। सुबह 11.30 बजे शासकीय अधिवक्ता अक्षय पाटीदार कानूनी ज्ञान एवं अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के संबंध में जानकारी देंगे। दोपहर 2 बजे के सत्र में एफएसएल अधिकारी डॉ. आलोक माथुर वैज्ञानिक साक्ष्य संकलन संबंधी जानकारी देंगे। ऑफिस का तनाव घर न ले जाएँ शनिवार को सेमिनार के चौथे सत्र में साहित्यकार व चिंतक प्रो. अजहर हाशमी ने तनाव प्रबंधन विषय पर कहा कि क्रोध तनाव का सबसे बड़ा कारण है। क्रोध विवेक का हरण कर लेता है। जब विवेक ही नहीं रहता है तो तनाव भयंकर रूप धारण कर लेता है। तनाव से बचने के लिए हमेशा क्रोध से बचें। बच्चों से मुस्कराकर बात करें। ऑफिस का तनाव घर लेकर नहीं जाएँ। तनाव के हैं कई कारण प्रो. हाशमी ने कहा कि तनाव के कई कारण है। कभी सियासत तो कभी कार्य की अधिकता, कभी परिस्थिति तो कभी वातावरण से तनाव रहता है। ऐसे में हमेशा मुस्कुराकर सकारात्मक रूप से काम करें, तनाव नहीं रहेगा। पुलिस वर्ग का वास्ता सदैव जनहित व जनकल्याण से होता है तो उसमें तनाव स्वभाविक है। सही बात तो यह है कि जब हम पुरुषार्थ के पथ पर चलते हैं तो तनाव का तूफान साथ चलता है। पुलिस सेवा में आरक्षक से लेकर अधिकारी तक पर कार्य का इतना दबाव रहता है कि वह कर्तव्य निर्वाह करते-करते तनाव ग्रस्त हो जाता है। तनाव से बचने के लिए कोध्र को पीना सीखे, पौधा लगाए, उसकी देखभाल करें। गीत गुुनगुनाए, अपनी-अपनी आस्था के अनुरूप इबादत करें, हमेशा अच्छा सोचे, खुश रहना सीखे।

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