Wednesday, December 7, 2011

MP Police: Bhopal: भोपाल गैसकांड की बरसी के दिन की मारपीट पर गरजे आईजी विजय यादव, राजधानी में कानून हाथ में लेने वालों को क्या पुलिस का खौफ नहीं रहा?

भोपाल. राजधानी में कानून हाथ में लेने वालों को क्या पुलिस का खौफ नहीं रहा? भोपाल आईजी विजय यादव कहते हैं- हां, अब उपद्रवी भीड़ पुलिस से नहीं डरती, इसकी वजह पुलिस में आत्मविश्वास की कमी है। उनका कहना है पुलिस को खुद इस बात का डर रहता है कि यदि उसने कानून का पालन कराने के लिए कड़ी कार्रवाई की, तो कहीं आगे चलकर ‘व्यवस्था’ उसे संरक्षण देगी भी या नहीं? दरअसल, हाल के दिनों में राजधानी में यह तीसरा वाकया हुआ, जब पुलिस को उत्पात मचाने वालों के सामने मुंह की खाना पड़ी। आखिर ऐसे हालत क्यों बन रहे हैं? शनिवार को गैस पीड़ितों के रेल रोको आंदोलन के दौरान पुलिस पर पथराव और अफसरों की गाड़ियां जलाने की घटना के बाद दैनिक भास्कर ने यही सवाल आईजी से किया तो उन्होंने भी माना कि अपने अधिकारों के आगे दूसरों के अधिकारों के हनन की प्रवृत्ति ने असामाजिक तत्वों में भी पुलिस का डर खत्म कर दिया है।
नौ हजार लोगों पर एक पुलिसकर्मी आईजी श्री यादव के मुताबिक एक पुलिसकर्मी के भरोसे नौ हजार लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। ऐसा ही मंजर उग्र भीड़ के सामने होता है। नाराज भीड़ के एक शख्स को काबू करने या गिरफ्तार करने के लिए तीन पुलिसकर्मियों की जरूरत पड़ती है। ऐसे माहौल में पुलिस का खौफ कम होना लाजमी है। तीन वाकये जब मुंह की खानी पड़ी इसी साल 18 जून को शाहजहांनाबाद इलाके में मामूली बात पर पुलिसकर्मियों की पिटाई कर दी गई और पुलिस से रिवाल्वर, वायरलेस सेट छीन लिया। ञ्च 10 अगस्त को इतवारा में मामूली बात पर दो पक्षों में हिंसक घटना हुई। भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। एसपी अभय सिंह की आंख की रोशनी चली गई। ञ्च अब 03 दिसंबर को अचानक बेकाबू हुई भीड़ ने पुलिस को खदेड़ दिया। विवाद गैस कांड की 27वीं बरसी पर हुआ।

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