Monday, September 12, 2011

Punjab Police: Panchkula: कल तक था पुलिसवाला, आज बना नशे का सौदागर!

पंचकूला. किस्मत और बुद्धि कैसे पलटती है, इसका प्रमाण अफीम तस्करों के गिरोह का एक सदस्य अमृतसर निवासी दिलबाग है। असल में दिलबाग पंजाब पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात था और उसकी पोस्टिंग अमृतसर में थी। वह रहता भी अमृतसर की पुलिस लाइन में ही है।

दिलबाग दो साल पहले नौकरी से रिलीव होकर विदेश गया और कुछ समय बाद जब वापस लौटा तो बजाए नौकरी पर जाने के वह नशे के कारोबार में दाखिल हो गया और बड़ा तस्कर बन गया। नशे के इस कारोबार से खूब कमाई और मौज-मस्ती की। किस्मत ने फिर पलटा खाया और अब दिलबाग जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।

मांगा 7 दिन का रिमांड, मिला 5 दिन का

शनिवार देर रात सेक्टर-9 स्थित कोठी नंबर 954 से नशे के कारोबार के आरोप में पकड़े गए सभी पांचों आरोपियों जालंधर निवासी नवजोत, लुधियाना निवासी सुरजीत, अमृतसर निवासी दिलबाग, अमृतसर निवासी सुरजीत व गुरदयाल को रविवार कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। हालांकि पुलिस ने सात दिन का रिमांड मांगा था।

रात को जहां पुलिस ने 3 किलो अफीम, एक पिस्टल, एक रिवॉल्वर व दो गाड़ियां बरामद होने की बात कही थी, वहीं बाद में हुई छानबीन में 18 कारटेज भी सामने आए। इसके अलावा पुलिस के मुताबिक गिरोह के सरगना पिंटू, सतेंद्र व सुखविंद्र को पकड़ने के लिए टीमों का गठन किया गया है, जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा।

जांच के बाद होगी कोठी मालिक पर कार्रवाई

पुलिस के मुताबिक यह कोठी एक महिला के नाम पर है और वे फिलहाल करनाल में रहती हैं। पुलिस पहले यह जांच करेगी कि कोठी मालकिन ने जिस वक्त इन युवकों को कोठी किराये पर दी थी और रेंट एग्रीमेंट बनवाया था, उस वक्त वे पंचकूला में रहती थी या नहीं? अगर यह साफ हो जाता है कि वे उस वक्त पंचकूला में ही रहती थी और इसके बावजूद उन्होंने किरायेदारों की वेरिफिकेशन नहीं कराई, तो फिर उन पर कार्रवाई होना तय है। पंचकूला के एसपी मनीष चौधरी के मुताबिक पांच दिन के रिमांड के दौरान काफी कुछ सामने आएगा।

राजस्थान की अफीम चंडीगढ़ में सप्लाई

प्राथमिक पूछताछ में पता चला है कि अफीम तस्करों का यह गिरोह राजस्थान के कोटा से अफीम लाता था और उसके बाद चंडीगढ़ में सप्लाई करता था। अफीम का रेट खरीदने वाले की जरूरत पर निर्भर करता था। पुलिस के मुताबिक जो खरीददार अफीम का ज्यादा आदि होता था, उसके लिए कीमत ज्यादा होती थी और जिसका अफीम के बगैर काम चल सकता था, उसके लिए दाम भी कम होते थे।

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