Sunday, July 24, 2011

CG Police : पागलों के पीछे पागल हुई छत्तीसगढ़ पुलिस

कांकेर/रायपुर.आमतौर पर गुंडे बदमाशों को ठीक करने वाली पुलिस इन दिनों शहर के पागलों को संवारने में लगी है। पिछले दो दिनों में पुलिस ने शहर की सड़कों में घुमने वाले पांच पागलों को पकड़कर उनका मेडिकल चेकअप कराया बल्कि उन्हें नहला धुलाकर कर हजामत बनवाई तथा नए कपड़े पहनाकर घर तक पहुंचाया।
पुलिस जिन कारणों से भी इन पागलों की सुध ले रही है लेकिन उनके इस कार्य से अपना दिमागी संतुलन खो जाने के बाद दर-दर की ठोकर खाने वाले पागलों की सुध तो ली जा रही है। शहर में घूमने वाले पागलों की खोजबीन पुलिस ने शनिवार को शुरु की। पुराना बसस्टैंड के पास दो पागल एक साथ मिले जबकि दो और नया बस स्टैंड में मिले। एक अन्य पागल पुलिस को शहर के भोईपारा में घुमते हुए मिला।
चार पागल शहर के बाहर तथा एक शहर का ही रहने वाला था जिन्हें पुलिस थाना लेकर आई। पुलिस ने नाई को अस्पताल बुलाया तथा बारी-बारी से उनके बाल दाढ़ी कटवाए फिर उन्हें नहलाकर सभी का स्वास्थ्य परीक्षण कोमलदेव अस्पताल में कराया।


कई दिनों के भूखे-प्यासे पागलों के लिए पुलिस ने भोजन का भी इंतजाम किया। पुलिस की इतनी कवायद से पागलों का हुलिया ही बदल गया। इसके बाद शुरू हुआ पागलों के विदाई का दौर।
शहर से 10 किमी दूर ग्राम सिदेसर के एक पागल को उसके भाई को बुलाकर सौंपा गया। भोईपारा में मिले पागल को भी उसके घर तक छोड़ परिजनों को उसकी देखरेख करने की हिदायत दी। इसी तरह से बाहर के पागलों को वाहन में बैठाकर उनके घरों की ओर रवाना किया गया।

अस्पताल ने फिर दिखाई बेरहमी
हमेशा लोगों से र्दुव्‍यवहार से लेकर कई तरह के कार्यो के लिए बदनाम होने वाली पुलिस ने मानवता दिखाते हुए पागलों की सुध ली।
पागलों का जब स्वास्थ्य परीक्षण कराने अस्पताल भेजा गया तब अस्पताल के कर्मचारियों ने पुलिस का सहयोग नहीं किया और आधा अधूरा परीक्षण किया गया। एक पागल अपने पैर में हुए जख्म पर पट्टी करवाना चाह रहा था लेकिन पट्टी नहीं लगाई गई।

हर दृष्टिकोण से कार्य सराहनीय
दूसरी ओर पुलिस के अचानक पागलों की सुध लेने से कई तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं। ऐसा माना जा रहा है की कुछ नक्सली भी शहर में पागल बनकर
जासूसी करते थे। यदि पुलिस इस उद्देश्य से भी पागलों की सुध ले रही है तो भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह प्रयास सराहनीय है।

मानवता के नाते किया कार्य
"पुलिस ने मात्र मानवता के नाते शहर में भटकने वाले पागलों का स्वास्थ्य परीक्षण कराते हजामत कराई एवं नहला धुलाकर उन्हें भोजन कराकर घरों तक पहुंचवाया है। भविष्य में भी पुलिस इस तरह के कार्य करती रहेगी।"
- राजेश जान, टीआई, कांकेर

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