Tuesday, June 21, 2011

WB Politics: पुलिस के लिए 'नरम दीदी' बनीं ममता

बगैर सूचना के पुलिस बैरक और पुलिस अस्पताल पहुंचकर ममता बनर्जी ने दोस्ताना सम्बंध वाले बॉस की छवि स्थापित की है.

ये कदम ममता ने पश्चिम बंगाल में पुलिस के रहन सहन का पता लगाने के लिए उठाया है.

लेकिन कर्मचारियों के लिए उनका स्पष्ट संदेश भी है कि वे निष्पक्ष होकर काम करें.

यह वही पुलिस है जिसने ज्योति बसु के मुख्यमंत्री रहते हुए बनर्जी को राइटर्स बिल्डिंग से घसीटकर बाहर निकाल दिया था. पश्चिम बंगाल की मुख्य विपक्षी नेता के रूप में तीन दशक से भी अधिक समय तक कई अन्य मौकों पर भी पुलिस से उनकी झड़प हुई. लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के चार दिन के भीतर 25 मई को सब भुला दिया गया.

बनर्जी ने दक्षिण कोलकाता के अलीपोर बॉडीगार्ड लाइंस स्थित पुलिस बैरक का अचानक दौरा किया और पुलिस कर्मियों के रहन-सहन के बारे में जानकारी हासिल की. वह बैरक के अंदर गईं, उनके खाने तथा रहने के बारे में पूछा और उनकी शिकायतें सुनी.

वह सम्भवत: पहली मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने ऐसा किया. कुछ ही घंटों बाद उन्होंने शहर के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को पुलिस कर्मियों के लिए आवासीय योजना बनाने के निर्देश दिए.

इसी तरह दो जून को उन्होंने भवानीपुर स्थित कोलकाता पुलिस अस्पताल का अचानक दौरा किया और डॉक्टरों तथा मरीजों के परिजनों से बातचीत की.

राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री ने सरकार की जनहितकारी छवि पेश करने के लिए शीर्ष प्रशासनिक बदलाव भी किए. गैर-कानूनी हथियार जमा करने के खिलाफ भी सख्त निर्देश दिए गए हैं.

तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ने पुलिस अधिकारियों को राजनीतिक हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करने के लिए भी कहा. वरिष्ठ अधिकारियों को अपने पहले संदेश में उन्होंने कहा, "यदि कोई राजनीतिक नेता हस्तक्षेप करता है, तो आप सीधे तौर पर मुझे बता सकते हैं."

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