Tuesday, April 5, 2011

Mumbai Police : Home for Policemen : एक घर चाहिए, पुलिस वालों के लिए!

मुंबई
इस शहर में रहने वालों की सुरक्षा करने वाले पुलिस कर्मियों को घर के लाले पड़े हैं। पुलिस महकमे में उच्च अधिकारी तो आलीशान घरों का बंदोबस्त आसानी से कर लेते हैं, मगर सिपाही, हवलदार जैसे कर्मियों के घरों की रिपेयरिंग तक नहीं हो पाती।

मामले की गूंज विधान परिषद में भी सुनाई दी। आम पुलिस वालों के घर के लिए विधान परिषद के सभापति वसंत डावखरे ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा, मगर हुआ कुछ नहीं। इसी तरह बीआईटी चाल में रहने वाले पुलिस कर्मियों के आवासों की हालत दयनीय है। बीआईटी चाल के संदर्भ में सरकार का कहना है कि यहां रिडिवेलमेंट की प्रक्रिया चल रही है। बिल्डरों के प्रस्ताव आए हैं, जिसकी छंटनी चल रही है।

सदन में कांग्रेस के मोहन जोशी, अलका देसाई, हुसेन दलवाई, भाई जगताप व अन्य सदस्यों ने आम पुलिस कर्मियों के घरों के बाबत प्रश्न उठाए। सदस्यों का कहना है कि एक तो पुलिस कर्मियों को घर नहीं मिल रहा है, और जिन्हें घर मिला है उन इमारतों की हालत बदतर है। दक्षिण मुंबई स्थित डी-वार्ड के बीआईटी चाल की तीन इमारतों का मामला उठाया। कभी इन चालियों में रह चुके कांग्रेस के भाई जगताप ने कहा कि बीआईटी चाल की जिन बिल्डिंगों में पुलिस कर्मी रह रहे हैं उनका मालिकाना हक बीएमसी के पास है। वह 23 रुपये प्रति माह किराया लेती है, जबकि पुलिस महकमा उन घरों में रहने वाले पुलिस कर्मियों के वेतन में हाउसिंग अलाउंस के पांच हजार रुपये काट लेती है। यह सरासर अन्याय है। इसका समर्थन अन्य सदस्यों ने किया।

इस प्रश्न के संबंध में नगर विकास मंत्री भास्कर जाधव ने कहा कि 1992 में 19 बीआईटी चालियां बनाई गई थी जिसमें तीन बिल्डिंगों में पुलिस कर्मी रहते हैं। इन चालियों के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। क्लस्टर डिवेलपमेंट के तहत प्रस्ताव लाए गए हैं, मगर सोसाइटी वालों में सहमति को लेकर विवाद है, जिसके चलते अभी तक फाइनल नहीं हुआ है। रही बात 23 रुपये के किराए की, तो इस बारे में गृह विभाग तय करेगा।

सदस्यों के सवालों के बाबत विधान परिषद के उपसभापति वसंत डावखरे ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उच्च पुलिस अधिकारी तो बड़ी ही आसानी से बड़ी - बड़ी सोसाइटियों में फ्लैट ले लेते हैं , परंतु जब निचले क्रम के पुलिस कर्मियों को घर देने या फिर उनके बिल्डिंगों के रिपेयरिंग की बात आती है तो नियम कानून आड़े आते हैं। डावखरे ने कहा कि इस मामले में उनका अपना अनुभव बहुत ही कड़वा रहा है। ठाणे में म्हाडा ने बिल्डिंग बनाई है जिसमें कुछ में उन्होंने पुलिस वालों को रहने के लिए घर दिया है। उन बिल्डिंगों के रिपेयरिंग कराने के लिए पुलिस महकमे से लेकर म्हाडा संबंधित अन्य विभाग के लोगों का पत्र लिखा है , मगर हुआ कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही खेद की बात है कि जो हमारी सुरक्षा करते हैं , उन्हीं के साथ इतनी लापरवाही बरती जा रही है

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