Friday, April 15, 2011

CG Police : अपराध पर अंकुश के लिए हर वाहन पर पुलिस की निगाह


रायपुर.लूट और हादसों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर राजधानी की ट्रैफिक पुलिस ऑटोरिक्शा, टैक्सी और बड़ी गाड़ियों को जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) से लैस करने जा रही है।
लेजर किरणों की मदद से वाहनों की इंफ्रारेड बारकोडिंग की जाएगी। इसकी मदद से पुलिस कंट्रोल रूम वाहनों पर सीधी नजर रख सकेगा। पुलिस के मुताबिक इस तरह का सिस्टम लागू करने वाला रायपुर देश का पहला शहर होगा।
बेंगलुरू की कंपनी ने कुछ दिन पहले राजधानी पुलिस के सामने इस बाबत प्रजेंटेशन दिया था। सिस्टम को दो हिस्सों में लागू किया जाएगा।
पांच हजार रुपए तक का खर्चा
वाहनों में बार कोडिंग और जीपीएस लगाने की योजना के बारे में एडिशनल एसपी ट्रैफिक डी. रविशंकर ने बताया कि इसमें तीन से पांच हजार रुपए तक का खर्च आएगा।
कई महंगी गाड़ियों में जीपीएस इन बिल्ट आ रहे हैं। कंपनी से बातचीत चल रही है। पुलिस विभाग इसका पूरा प्रस्ताव तैयार कर राज्य शासन के पास मंजूरी के लिए भेजने की तैयारी कर रहा है।

दो चरणों में योजना : रायपुर होगा देश का पहला शहर

पहला चरण: बारकोडिंग
लेजर की मदद से हर गाड़ी की बॉडी के खास हिस्से में इंफ्रारेड बार कोड प्रिंट किए जाएंगे। इसमें वाहन मालिक का नाम, पता, इंजन नंबर, चेचिस नंबर, गाड़ी का मेक, रंग जैसी बुनियादी जानकारी होगी। बार कोड रीडर की मदद से पुलिस मिनटों में गाड़ी के बारे में जानकारी जुटा लेगी। इससे वाहनों का डिजिटल डेटा बेस तैयार हो जाएगा।
दूसरा :जीपीएस इंस्टालेशन
इसमें ऑटो, सिटी बसों, मिनी बसों से लेकर अन्य बड़े वाहनों में जीपीएस लगाए जाएंगे। इससे वाहनों की ट्रैकिंग आसान होगी। लूट या अन्य किसी घटना की स्थिति में पुलिस रंग, मेक या लाइसेंस प्लेट नंबर के आधार पर डेटा बेस से उस वाहन के बारे में सारी जानकारी जुटा लेगी। जीपीएस लोकेटर से वाहन की स्थिति का पता चल जाएगा।


कई फायदे
गाड़ी चोरी होने पर पुलिस तत्काल उसकी लोकेशन का पता लगा लेगी।
दुर्घटना होने पर पुलिस के लिए तुरंत मौके पर पहुंचना आसान होगा।
वारदात के बाद भागने वाले बदमाशों की ट्रैकिंग में मदद मिलेगी।
जीपीएस लोकेशन के जरिए गाड़ियों की मॉनीटरिंग आसान होगी।
हर गाड़ी और उसके मालिक की पहचान आसान हो जाएगी।
बगैर कागजात के उनका रिकार्ड चेक किया जा सकेगा।
पुलिस के पास सभी गाड़ियों का डिजिटल रिकार्ड उपलब्ध रहेगा और चेकिंग में भी कोई चूक नहीं होगी।

बस-टैक्सियों से शुरुआत
"जीपीएस इंफ्रारेड बार कोडिंग की यह तकनीक रायपुर में पहली बार इस्तेमाल होगी। बस, टैक्सियों से इसकी शुरुआत की जाएगी। बेंगलुरू की कंपनी से बात चल रही है। अपराध रोकने में इससे काफी मदद मिलेगी।"
डी रविशंकर,एएसपी ट्रैफिक

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