Monday, March 28, 2011

WC Cricket Police : Mumbai Police: मुंबई पुलिस को डर, कहीं क्रिकेट फैन बनकर आतंकवादी न घुस आएं

मुंबई. भारत-पाकिस्तान के बीच बुधवार को होने वाले महासंग्राम के लिए क्रिकेट प्रेमियों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। पाकिस्तान से क्रिकेट प्रेमी वाघा बॉर्डर और मुंबई के रास्ते आने शुरू हो गए हैं। मुंबई पुलिस इस बात को लेकर चिंतित है कि वानखेड़े स्टेडियम में 2 अप्रैल को होने वाले वर्ल्ड कप के फाइनल को देखने के लिए क्रिकेट फैंस के रूप में आतंकवादी शहर में घुस सकते हैं। पाकिस्तान के फाइनल तक पहुंचने की स्थिति में इस बात की आशंका और बढ़ जाती है।
मुंबई पुलिस का डर यूं ही नहीं है बल्कि आंकडे कुछ ऐसा ही आईना पेश करते हैं। इतिहास बताता है कि पाकिस्तान से क्रिकेट फैंस के तौर पर मान्य वीज़ा लेकर आने वाले पाकिस्तानी निश्चित समय में वापस लौटने में नाकाम रहे हैं और कई तो भारत में लापता भी हुए हैं।
मैच के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहे मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'वर्ल्ड कप फाइनल के लिए बड़े स्तर पर हमले की संभावना है और हमें कई ऐजेंसियों से भी इस बात की जानकारी मिली है। अगर पाकिस्तान फाइनल में पहुंच जाती है तो पाकिस्तान से कई क्रिकेट प्रेमी भारत आ सकते हैं। हमारी प्रमुख चिंता यह है कि क्रिकेट फैंस के तौर पर कहीं आतंकवादी न घुस आएं'।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने भारत-पाक सेमीफाइनल मैच देखने के लिए 5,000 पाकिस्तानियों को वीज़ा देने के लिए अनुमति दी है। जब मार्च 2005 में भारत-पाक की भिडंत हुई थी, तब करीब 34 पाकिस्तानी क्रिकेट फैंस जो पहले मैच के लिए चंडीगढ़ आए थे, वे वापस नहीं जा पाए थे क्योंकि सुरक्षा ऐजेंसियों को शक था कि वे आईएसआई के ऐजेंट हो सकते हैं। कुछ को हिरासत में लिया गया था पर 10 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं।

बताया जाता है कि मुंबई हमले का मास्टरमाइंड साजिद मीर भी 2005 में क्रिकेट फैन बनकर आया था और फिर गुपचुप तरीके से देश के कई जगहों पर गया था। मीर की 15 दिन की गतिविधियों को कोई विवरण नहीं है।
गृह मंत्रालय के आंकडों के अनुसार अप्रवास अधिकारियों को सूचना दिए बिना भारत ज़्यादा दिनों तक रह रहे पाकिस्तानियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2005 में वीज़ा की अवधि खत्म हो जाने के बाद करीब 4,742 पाकिस्तानियों का कुछ पता नहीं चला है। 2006 में यह संख्या बढ़कर 5,392 हो गई,  2007 में यही संख्या 6,038 हुई। 2008 में 7,547 पाकिस्तानियों का कुछ पता नहीं चला और फिर 2009 में करीब 7,691 लापता थे। 2005 में लापता हुए 4,742 पाकिस्तानियों में से 371 को ढूंढकर वापस भेजा जा सका था।

अधिकारी ने कहा कि हरसंभव सुरक्षा तरीकों को अपनाया जा रहा है जिससे कि फाइनल देखने आने वाले विदेशियों पर नज़र रखी जा सके। इस बात की भी जानकारी रखी जा कही है कि वे कहां रहेंगे और कहां-कहां जाएंगे। ऑनलाइ बिकने वाली टिकटों को भी ट्रैक किया जा रहा है।
अधिकारी ने बताया, 'सुरक्षा के लिए कई स्तर बनाए गए हैं। एनएसजी, आर्मी, नेवी और एयर फोर्स को तैनात किया जा रहा है। वानखेड़े को बिलकुल एक किले की तरह सुरक्षित किया जा रहा है। मुंबई ने कभी भी इस प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था आज तक नहीं देखी होगी'।
आफरीदी के भाई को रोका गया बॉर्डर पर
इधर बताया जा रहा है कि शाहिद आफरीदी के भाई मुश्ताख को अट्टरी अप्रवास पर सुरक्षा अधिकारियों द्वारा रोक लिया गया। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान से आने वाले लोगों के पास यदि मोहाली मैच का मूल टिकट नहीं है तो उन्हें भारत में घुसने नहीं दिया जा रहा है। हो सकता है कि आफरीदी के भाई के पास मोहली मैच की टिकट न रही हो।
एक पहलु यह भी 
जहां एक ओर पाकिस्तानी क्रिकेट फैंस के रूप में आतंकियों के घुसने का डर पुलिस को सता रहा है, वहीं दूसरी ओर मोहाली के लोग इससे बेखौफ हैं।
बुधवार को भारत-पाक मैच के लिए चंडीगढ़, मोहाली के होटल पूरी तरह भर चुके है, ऐसे में मोहाली में रह रहे लोगों ने अपने घरों को पाकिस्तानी अतिथियों के लिए खोल दिया है।
पाकिस्तान से आ रहे क्रिकेट प्रेमियों को अपने घर में पनाह दे रहे चंडीगढ़ के एनजीओ के कोऑर्डीनेटर प्रमोद शर्मा का कहना है, 'जब दोनों सरकारें मिलकर शांति बनाने का प्रयास कर रही हैं, तो नागरिकों को भी इस पहल का समर्थन कर उनका साथ देना चाहिए'।
courtesy - db

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