Monday, March 28, 2011

Delhi Police : दिल्ली पुलिस में होंगे बड़े बदलाव

दिल्ली पुलिस के ढांचे में 30 मार्च को अहम बदलाव होने जा रहा है। काडर रिव्यू लागू कर आईपीएस अफसरों के पदों की संख्या बढ़ाई जा रही है। एक साथ तीन बैच के आईपीएस अफसरों को प्रमोट किया जा रहा है। अरसे से त्रस्त चल रहे दानिप्स काडर के अफसर अब राहत महसूस कर रहे हैं।

गृह मंत्रालय के अनुसार, कमल कुमार कमिटी की रिपोर्ट पर पिछले साल केंद्र सरकार ने दिल्ली मेंे आईपीएस अफसरों के पदों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया था। पिछले साल 30 मार्च को कार्मिक मंत्रालय की डायरेक्टर (सर्विसेज) रौली सिंह के दस्तखत से जारी काडर रिव्यू नोटिफिकेशन के मुताबिक, दिल्ली में पुलिस कमिश्नर के अलावा 10 स्पेशल कमिश्नर, 20 जॉइंट कमिश्नर, 15 एडिशनल कमिश्नर और 29 डीसीपी होंगे। अब कार्मिक मंत्रालय (डीओपीटी) काडर रिव्यू को लागू कर रहा है। इनमें एक-तिहाई पद दानिप्स काडर के अफसरों से भरे जाएंगे। पब्लिक को पुलिसिंग में इसका कोई फायदा हो या न हो, लेकिन इससे दानिप्स काडर के अफसरों के आईपीएस में इंडक्ट होने के अवसर जरूर मिल गए हैं।

30 मार्च को तीन बैच के आईपीएस अफसरों को प्रमोट किया जा रहा है। इनमें एक रेंज के जॉइंट कमिश्नर और तीन डिस्ट्रिक्ट डीसीपी हैं। 1984 बैच के जॉइंट कमिश्नर धर्मेंद्र कुमार, दीपक मिश्रा, ए. के. सिंह और कर्नल सिंह को स्पेशल कमिश्नर बनाया जा रहा है। 1997 बैच के आईपीएस डीसीपी (साउथ) हरगोविंद धालीवाल, डीसीपी (वेस्ट) वी. रंगनाथन और डीसीपी (नॉर्थ) सुरेंद्र सिंह यादव को अडिशनल कमिश्नर बनाया जा रहा है। इनके अलावा 1990 बैच के तजेंद्र लूथरा, दीपेंद्र पाठक और संजय सिंह को जॉइंट कमिश्नर रैंक दी जा रही है। कुछ जॉइंट कमिश्नरों को दिल्ली से बाहर भेजा जाएगा।

वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में आईपीएस अफसरों की भर्तियां कम की गई थीं। इसका नतीजा यह हुआ कि जूनियर अफसरों की कमी हो गई और सीनियर अफसरों की भरमार हो गई। इसलिए पूर्व पुलिस कमिश्नर वाई. एस. डडवाल को चार-चार अडिशनल कमिश्नरों को डिस्ट्रिक्ट डीसीपी का चार्ज देना पड़ा था। हालांकि अब भी साउथ-ईस्ट और नई दिल्ली में अडिशनल कमिश्नर ही डिस्ट्रिक्ट डीसीपी का काम कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा पुलिस कमिश्नर बी. के. गुप्ता सैद्धांतिक तौर पर इसके पक्ष में नहीं हैं।

काडर रिव्यू लागू होने और अडिशनल कमिश्नरों को डिस्ट्रिक्ट डीसीपी न बनाए जाने की अघोषित पॉलिसी के कारण अबदानिप्स काडर के अफसरों को खासी राहत मिलने जा रही है। पिछले सालों में लाइसेंसिंग ब्रांच और आर्थिक अपराधशाखा जैसी मलाईदार यूनिटें हाथ से निकलने के कारण कसमसा रहे इनमें से कुछ अफसरों को भेदभाव की भी दिक्कत है।इन्हें फिलहाल आईपीएस में आने के लिए 21-24 साल इंतजार करना पड़ रहा है , जबकि तमिलनाडु में पिछले दिनोंउनके समकक्ष 12 साल की नौकरी के बाद ही आईपीएस बन गए हैं। काडर रिव्यू के कारण इनके आगे बढ़ने के रास्ते खुलरहे हैं।

जून तक डीसीपी ( ट्रैफिक हेडक्वॉर्टर ) प्रभाकर , रूपेंद्र कुमार , ओ . पी . मिश्रा , के . के . व्यास से लेकर डीसीपी (एयरपोर्ट ) आर . ए . संजीव और प्रेमनाथ तक 18 अफसरों को आईपीएस में शामिल किया जाएगा। डीसीपी रैंक मेंआईपीएस की कमी के मद्देनजर इनमें से कुछ को डिस्ट्रिक्ट डीसीपी भी बनाया जा सकता है। इसी कमी की वजह से ओ .पी . मिश्रा को फिलहाल ईस्ट डिस्ट्रिक्ट में अस्थायी डीसीपी का चार्ज देना पड़ा है , हालांकि वह आईपीएस में नहीं हैं।1990 के दशक की शुरुआत में इसी तरह मैक्सवेल परेरा को साउथ जैसे अहम डिस्ट्रिक्ट में और आर . तिवारी को नॉर्थ मेंडिस्ट्रिक्ट डीसीपी बनाया गया था , लेकिन उसके बाद अब तक ऐसा नहीं हुआ था। 

courtesy- nbt

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